NEET 2025 Tie-Breaking Rules: Marks Same & Rank Different क्यों?

NEET 2025 Tie-Breaking Rules उन छात्रों के लिए बेहद जरूरी हैं जिन्होंने अच्छे अंक तो हासिल किए हैं, लेकिन रैंक को लेकर असमंजस में हैं। हर साल रिजल्ट के बाद ऐसे हजारों छात्र और अभिभावक उलझन में रहते हैं कि जब दो छात्रों के अंक समान हैं, तो उनकी रैंक अलग-अलग कैसे आ गई? यही सवाल इस साल भी बार-बार पूछा जा रहा है। एक छात्र ने मुझसे कहा —”सर, मेरे अंक और मेरे दोस्त के अंक बिल्कुल समान हैं, लेकिन उसकी रैंक मुझसे 400 पीछे है… ऐसा कैसे?”

दरअसल, NEET की रैंकिंग सिर्फ टोटल मार्क्स पर नहीं, बल्कि एक तय प्रक्रिया पर आधारित होती है जिसे Tie-Breaking Rule कहा जाता है। और NEET 2025 के लिए NTA ने इसे फिर से step-by-step merit-based बना दिया है, जिसमें सबसे अंत में random selection process शामिल किया गया है।

मैं, Rajesh Mishra, पिछले 16 वर्षों से NEET counselling और admission guidance में कार्यरत हूं, और अब तक 3000+ छात्रों को सरकारी और प्रतिष्ठित कॉलेजों में प्रवेश दिलवा चुका हूं। आइए समझते हैं NEET 2025 के इस नए नियम का असर, cutoff पर प्रभाव, और आपकी तैयारी की रणनीति क्या होनी चाहिए।

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NEET 2025 में Tie-Break क्यों होता है?

NEET एक highly competitive परीक्षा है जिसमें हर साल 20 लाख से ज्यादा छात्र भाग लेते हैं। इतने बड़े पैमाने पर परीक्षा में यह सामान्य बात है कि दो या अधिक छात्र एक ही टोटल स्कोर प्राप्त कर लें। अब जब टोटल मार्क्स समान होते हैं, तो यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि किसे ऊंची रैंक दी जाए। चूंकि NEET रैंक के आधार पर कॉलेज allotment होता है, इसलिए यह निर्णय बेहद अहम होता है।

Tie-Break इसलिए जरूरी होता है ताकि समान अंक वालों के बीच merit के आधार पर सही रैंक निर्धारित की जा सके और सीटें न्यायसंगत तरीके से वितरित हो सकें। यह प्रक्रिया सिर्फ ranking clarity ही नहीं देती बल्कि counselling में भी पारदर्शिता सुनिश्चित करती है।

पुराने और नए नियमों में क्या फर्क है?

NEET 2024 तक टाई-ब्रेकिंग के लिए कई parameters का उपयोग किया जाता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में NTA ने randomization को हटा दिया था। इससे students को ranking की fairness पर सवाल उठने लगे। NEET 2025 में NTA ने फिर से पुरानी step-by-step merit-based प्रक्रिया को अपनाया है, और अंत में random selection को एक emergency विकल्प के रूप में शामिल किया है।

पुराने नियमों में विषयवार तुलना और negative answers के आधार पर टाई सुलझाई जाती थी, लेकिन random selection की गैर-मौजूदगी से कई students का भरोसा डगमगाया। नए नियम में इसे वापिस लाया गया है ताकि सभी संभावनाओं को address किया जा सके।

NEET 2025 Tie-Breaking का Step-by-Step क्रम

NTA ने Tie-Breaking के लिए 6 चरणों की प्रक्रिया निर्धारित की है:

  1. Biology (Botany + Zoology) में अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्र को वरीयता दी जाएगी
  2. अगर Biology में भी अंक समान हैं तो Chemistry में अधिक अंक प्राप्त करने वाले को प्राथमिकता
  3. Chemistry में भी टाई हो तो Physics के अंक देखे जाएंगे
  4. फिर सभी विषयों में दिए गए गलत उत्तरों की कुल संख्या की तुलना की जाएगी — कम गलत उत्तर वाले को वरीयता
  5. फिर subject-wise गलत उत्तरों की तुलना की जाएगी — पहले Biology, फिर Chemistry, फिर Physics
  6. अंत में यदि सभी स्तरों पर टाई बनी रहती है, तो random selection प्रक्रिया अपनाई जाएगी

Biology का सबसे अधिक महत्व क्यों?

Biology को NEET में 360 अंकों के लिए वेटेज दिया गया है — जो Physics (180) और Chemistry (180) से दोगुना है। यह medical stream का मुख्य विषय भी है, इसलिए merit की प्राथमिकता में इसे सबसे पहले रखा गया है।

इसका अर्थ है कि यदि आप NEET 2025 की तैयारी कर रहे हैं, तो आपको सबसे पहले और सबसे ज़्यादा ध्यान Biology पर देना चाहिए। यही subject आपकी रैंक तय करने में decisive भूमिका निभाएगा। बेहतर होगा कि छात्र इस विषय के concepts, diagrams, NCERT-based facts और mock test performance पर अधिक फोकस करें।

Randomization क्या होता है और इसे क्यों जोड़ा गया?

Randomization का अर्थ है एक ऐसी निष्पक्ष प्रक्रिया जिसमें चयन पूरी तरह से computerized और unbiased तरीके से किया जाता है। NEET 2025 में यह प्रक्रिया तब लागू होती है जब सभी दूसरे tie-breaking steps फेल हो जाते हैं।

NTA ने बताया है कि यदि Biology, Chemistry, Physics, accuracy, और subject-wise गलतियों के आधार पर भी दो छात्रों की स्थिति समान रहती है, तो उनके बीच रैंक तय करने के लिए random selection किया जाएगा। यह प्रक्रिया एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति की निगरानी में होगी ताकि merit और fairness दोनों बरकरार रहे।

क्या इससे cutoff पर असर होगा?

जी हां, इससे cutoff पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है। जब एक ही score पर अधिक छात्रों की रैंक अलग-अलग तय होती है, तो टॉप कॉलेजों में seat के लिए competition बढ़ता है। इससे कई बार cutoff rank थोड़ी ऊपर जा सकती है।

उदाहरण के लिए, अगर 610 मार्क्स पर पहले 300 छात्र आते थे, लेकिन अब नए नियम से 310 छात्र आ रहे हैं, तो AIIMS जैसे टॉप कॉलेज की last rank cutoff बढ़ सकती है। यही कारण है कि हर एक अंक और हर एक subject में performance मायने रखती है।

टाई-ब्रेकिंग का असर counselling पर कैसे पड़ेगा?

Counselling में सीट allotment पूरी तरह रैंकिंग पर आधारित होता है। जब एक ही score वाले छात्रों की रैंक अलग-अलग होती है, तो counselling में उनके preference के अनुसार college मिल सकता है या नहीं — यह उनकी final rank पर निर्भर करता है।

यदि आप tie-break में पीछे रह जाते हैं, तो हो सकता है आपको आपका पसंदीदा college न मिले, भले ही आपका total score किसी और के जितना ही क्यों न हो। इसलिए accurate strategy और subject-wise performance जरूरी है ताकि counselling में आपको upper hand मिले।

तैयारी के लिए क्या रणनीति अपनाएं?

NEET 2025 की तैयारी अब केवल marks लाने तक सीमित नहीं है — अब बात accuracy और subject-wise performance की भी है। इस आधार पर छात्रों को निम्नलिखित रणनीति अपनानी चाहिए:

  • Biology को गहराई से पढ़ें — हर टॉपिक, हर figure, हर definition स्पष्ट होनी चाहिए
  • Chemistry और Physics में भी strong foundation बनाएं
  • Negative marking से बचें — intelligent guessing से दूरी बनाएं
  • Mock Test दें और analyse करें — हर टेस्ट के बाद गलती खोजें और सुधारें
  • Revision Plan weekly बनाएं — हर हफ्ते weak areas पर काम करें

क्या यह नियम सभी पर लागू होता है?

जी हां, NEET 2025 के Tie-Breaking Rules सभी श्रेणियों (General, OBC, SC, ST, EWS) के छात्रों पर समान रूप से लागू होंगे। यह नियम NTA द्वारा पूरे देश के लिए एक समान लागू किया गया है।

इसका उद्देश्य merit के आधार पर सभी छात्रों को बराबरी का अवसर देना है। NTA के अनुसार, category का कोई प्रभाव tie-break नियमों पर नहीं पड़ता — यह केवल विषय और performance पर आधारित है।

अब तैयारी merit और accuracy दोनों पर आधारित होनी चाहिए

NEET 2025 में Tie-Breaking को लेकर जो बदलाव आए हैं, वे छात्रों के हित में हैं — बशर्ते आप तैयारी को गंभीरता से लें। अब सिर्फ total marks लाना काफी नहीं होगा, बल्कि यह देखना होगा कि किस subject में आप कितने accurate हैं।

Random selection को अंतिम विकल्प रखने से यह सुनिश्चित होता है कि merit-based चयन पहले हो और केवल rare cases में lottery-style selection की आवश्यकता पड़े। इसलिए छात्रों को जरूरत है एक अच्छी strategy, consistent practice और concept clarity की।

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Frequently Asked Questions

Q1. NEET 2025 में टाई-ब्रेकिंग कैसे की जाएगी?

A: NEET 2025 में यदि दो या अधिक छात्रों के अंक समान होते हैं, तो NTA एक तय क्रम में tie-break करता है: सबसे पहले Biology में अधिक अंक वाले को वरीयता, फिर Chemistry, उसके बाद Physics। यदि अंक सभी विषयों में समान हों, तो गलत उत्तरों की संख्या को देखा जाएगा, उसके बाद विषयवार गलत उत्तर। यदि इसके बाद भी टाई बनी रहे, तो Randomization के ज़रिए एक निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाई जाएगी। यह पूरी प्रक्रिया merit और fairness को प्राथमिकता देती है।

Q2. Randomization क्या होता है?

A: Randomization एक computerized, unbiased चयन प्रक्रिया होती है जिसे NTA तब अपनाता है जब सभी निर्धारित tie-breaking steps के बाद भी दो या अधिक छात्रों की स्थिति एक जैसी रहती है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति की निगरानी में होती है और इसका उद्देश्य अंतिम निर्णय को पूरी तरह निष्पक्ष बनाना होता है। इसे सिर्फ rare cases में लागू किया जाता है।

Q3. Biology को क्यों सबसे पहले देखा जाता है?

A: Biology NEET परीक्षा का सबसे मुख्य विषय है और इसका वेटेज 360 अंकों का होता है, जो कि Physics और Chemistry से कहीं अधिक है। इसी वजह से टाई-ब्रेकिंग में इसे प्राथमिकता दी जाती है। साथ ही, चूंकि NEET मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए आयोजित होता है और Biology core subject है, इसलिए इसकी performance छात्र की overall suitability को दर्शाती है।

Q4. क्या इससे counselling में परेशानी होगी?

A: अगर छात्र टाई-ब्रेकिंग में पीछे रह जाते हैं तो उनकी रैंक कम हो सकती है और counselling में उन्हें उनकी पसंद का college या course न मिले। इसलिए tie-breaking में बेहतर प्रदर्शन के लिए subjects में संतुलित और सटीक तैयारी जरूरी है। सही counselling strategy और realistic expectations बनाना भी ज़रूरी है।

Q5. Strategy क्या अपनाएं?

A: छात्र को Biology में excellence हासिल करना चाहिए क्योंकि यह टाई-ब्रेकिंग का पहला स्तर है। इसके साथ ही Chemistry और Physics में भी consistent performance जरूरी है। Negative marking से बचना, नियमित mock tests देना और गलती के पैटर्न को समझकर सुधार करना key strategies में शामिल हैं। accuracy सुधारना सबसे महत्वपूर्ण कारक बन गया है।

Q6. क्या टाई-ब्रेकिंग का असर केवल टॉप रैंक वालों पर होगा?

A: नहीं, इसका असर हर रैंक लेवल पर होता है। खासकर वे छात्र जो borderline cutoff पर होते हैं (जैसे कि 590–610 marks range) — उनके लिए यह system decisive बन सकता है। अगर आपके अंक दूसरों के जितने ही हैं लेकिन Biology में आपका प्रदर्शन कमज़ोर है, तो आपकी रैंक नीचे जा सकती है।

Q7. क्या यह नियम NTA द्वारा officially घोषित है?

A: हां, NEET 2025 के लिए NTA ने अपनी आधिकारिक सूचना पुस्तिका (Information Bulletin) में इस tie-breaking प्रक्रिया को step-by-step विस्तार से बताया है। यह सभी छात्रों पर समान रूप से लागू है और इसे परीक्षा के merit-based evaluation का हिस्सा माना जाता है।

Q8. क्या private counselling में भी इसका असर पड़ता है?

A: बिल्कुल, चाहे counselling MCC द्वारा हो या किसी State Authority द्वारा — tie-breaking के ये नियम रैंक निर्धारण में लागू होते हैं। Private colleges में भी admission प्रक्रिया रैंक पर आधारित होती है, इसलिए टाई-ब्रेकिंग से indirectly वहां भी असर पड़ता है। इसके अलावा deemed और state quota counselling में भी यही नियम पालन में रहते हैं।

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